जीवन के संगीत और उसकी सहज लय से काटती उसे अलग करती यह आधा-धापी है।
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इनके गीतों मे प्रकृति प्रेम, मानवीय संवेदनाएं और निश्छल मनोभाव्नायें बड़ी सहज लय मे अभिव्यक्त हुई हैं।
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इनके गीतों मे प्रकृति प्रेम, मानवीय संवेदनाएं और निश्छल मनोभाव्नायें बड़ी सहज लय मे अभिव्यक्त हुई हैं।
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इनके गीतों मे प्रकृति प्रेम, मानवीय संवेदनाएं और निश्छल मनोभाव्नायें बड़ी सहज लय मे अभिव्यक्त हुई हैं।
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परंतु इस महत्वपूर्ण तथ्य पर प्रख्यात कवि केदारनाथ सिंह की टिप्पणी उल्लेखनीय है-' सॉनेट जैसे विजातीय काव्यरूप को हिंदी भाषा की सहज लय और संगीत में ढालकर त्रिलोचन ने एक ऐसी नयी काव्य विद्या का आविषकार किया है जो लगभग हिंदी की अपनी विरासत बन गयी है।
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परंतु इस महत्वपूर्ण तथ्य पर प्रख्यात कवि केदारनाथ सिंह की टिप्पणी उल्लेखनीय है-' सॉनेट जैसे विजातीय काव्यरूप को हिंदी भाषा की सहज लय और संगीत में ढालकर त्रिलोचन ने एक ऐसी नयी काव्य विद्या का आविषकार किया है जो लगभग हिंदी की अपनी विरासत बन गयी है।
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यहीं बिल्कुल आस-पास है कहीं वह जगह-जहाँ अपनी सहज लय में गूँजता संगीत होते हैं तरंगित अर्थ कविता के, जहाँ साकार होते हैं सभी आकार अपने आप जहाँ इतनी सघन है अनुभूति जैसे गर्भ माता का अँधेरी रात का तारों भरा आकाश या फिर अधगिरी दीवार पर फूले अकेले फूल की पीली उदासी.... सघनता भी जहाँ जा कर विरल हो जाती!